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कल्याणत्रिंशतिकास्तोत्रम्

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  • Kalyāṇatriṁśatikāstotram [1]

कल्याणत्रिंशतिकास्तोत्रम्

एवंकारसमापन्ना कायवाकचित्तबुद्धितः।

करोमि सततं तस्या नुतिं पूजां प्रदक्षिणाम्॥ १॥

या देवी सर्वसत्त्वानां सृष्टिसंहारकारिणी।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ २॥

या देवी सर्वभूतानां प्रतिपाले प्रतिष्ठिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ३॥

या देवी देवदेवीनां देवतारूपिणी स्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ४॥

या देवी दैत्यदुर्दान्तदाहरूपा भयानका।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ५॥

या देवी सर्वनागानां सहस्रमुखनागिनी।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ६॥

या देवी सप्तपाताले शान्तरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ७॥

या देवी नरनारीणां वेदमाता चिदम्बिका।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ८॥

या देवी क्षत्रिणीवैश्याशूद्रीजातिप्रपूजिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ९॥

या देवी प्रेतलोकानां पालनाय महर्द्धिका।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ १०॥

या देवी सर्वतिर्यक्षु तारिणी तापनाशिनी।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ११॥

या देवी नारकीयाणां दुःखभाजां च मातृका।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ १२॥

या देवी षोडशसंख्यनरकाणां विनाशिनी।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ १३॥

या देवी द्वेषिरागीणां मोहिनां दुर्दुरीकृता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ १४॥

या देवी कामक्रोधाभ्यां क्रोधरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ १५॥

या देवी लोभलाभानां लङ्घनाय विलम्बिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ १६॥

या देवी मायाया माता मातॄणां वज्रयोगिणी।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ १७॥

या देवी राजचौराग्निसिंहशत्रुविनाशिनी।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ १८॥

या देवी जलनागाहिदुर्भिक्षभयतारिणी।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ १९॥

या देवी पञ्चभूतानां चन्द्रे सूर्ये प्रतिष्ठिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ २०॥

या देवी भौतिकी वेला आलिकालिविचारिणी।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ २१॥

या देवी सर्वपीठेशी क्षेत्ररूपोपछन्दिका।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ २२॥

या देवी पीलवाख्याता उपपीलवमीलिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ २३॥

या देवी द्वादशे चक्रे राशिलग्नविभूषिणी।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ २४॥

या देवी षडंगे देशे प्रोद्बुद्धमुखचन्द्रिका।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ २५॥

या देवी चण्डचक्रेषु गामिनी परमेश्वरी।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ २६॥

या देवी कायवाकचित्ते मन्त्ररूपेण गामिनी।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ २७॥

या देवी निर्मलात्मा श्रीरृद्धिसिद्धिबलप्रदा।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ २८॥

या देवो सर्वजन्तूनां सदा मङ्गलकारिणी।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ २९॥

य इदं पठते धीमान् देव्या भक्तिसमन्वितः।

बुद्धत्वं लभते शीघ्रं कल्याणं मङ्गलं शिवम्॥ ३०॥

श्री त्रिकायनिवासिनीवज्रदेव्याः कल्याणत्रिंशतिकास्तोत्रं समाप्तम्।

Technical Details
Text Version: 
Devanāgarī
Input Personnel: 
DSBC Staff
Input Date: 
2004
Proof Reader: 
Miroj Shakya
Supplier: 
Nagarjuna Institute of Exact Methods
Sponsor: 
University of the West
Chapter: 
0

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